लेखनी कहानी प्रतियोगिता-27-Nov-2022 एक पत्नी की आस
विषय-स्वप्न या सच
यह कहानी एक सैनिक अजय और उसकी पत्नी आंचल से संबंधित है।
अजय 1 महीने की छुट्टी मनाने अपने गांव आया था।
कुछ दिनों के बाद
एक बार अजय और उसकी पत्नी बालकनी में बैठकर चाय पी रहे थे तभी हेड ऑफिस से चिट्ठी आती है की बॉर्डर पर लड़ाई छिड़ गई है तुम्हें जल्दी आना होगा।
उस चिट्ठी को पढ़कर अजय 15 दिन में है अपनी ड्यूटी ज्वाइन करने चला जाता है । यह लड़ाई लंबे समय तक चलती रही। कुछ दिनों में युद्ध बंद हो गया था। दूसरे दिन फिर आतंकवादियों ने हमला बोल दिया था। आतंकवादियों ने बम ब्लास्ट किया जिसके कारण सभी तहस-नहस हो गया। किसी की भी बॉडी नहीं मिली।
उसमें अजय भी शामिल था। आर्मी ऑफिसर को लगा कि अजय भी मर गया है। चलिए आर्मी ऑफिसर ने अजय का सभी सामान घर भेज देते हैं और अजय को श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
यह सुनकर आंचल सहम जाती है आंचल की शादी हुए 6 महीने ही हुए थे और वह स्तंभ हो जाती है। अब सिर्फ आंचल की आंखों में आंसू थे वह सोच नहीं पा रही थी कि यह सच है या स्वप्न।
कुछ दिनों के बाद
6 महीने बीत गए थे उनके घर की बेल बजी आंचल ने जैसे ही द्वार खोला तो उसने अजय को देखा अजय को देखकर आश्चर्यचकित हो जाती है सोचती है कि स्वप्न है या सच। और पूरे घर में हल्ला मचाने लगती है मां देखो मां देखो अजय जी आ गए हैं। यह बात सुनकर सभी दौड़े-दौड़े आते हैं यह कैसा चमत्कार है तुम पागल हो गई हो बहु अजय तो अब इस दुनिया में नहीं रहा वह कैसे आएगा। आप बाहर तो आइए और देखिए।
जैसे ही सब नीचे उतर कर आते हैं तो दिखते हैं कि अजय सच में ही बाहर खड़ा है सभी सोचते हैं यह स्वप्न है या सच। आंखों को मल कर अजय की मां देखती है अजय को छूने लगती है। तब उन्हें एहसास होने लगता है कि सच में अजय वापस लौट आया है। आंखों से खुशी के आंसू बहने लगते हैं। अजय को अंदर ले आते हैं। सभी अजय से पूछने लगते हैं 6 महीने के बाद लौटा। इतने दिनों तक कहां था?
अजय अपनी पूरी कहानी बताता है। जब बम ब्लास्ट हुआ था तो मैं बेहोश हो गया था और जब मैंने आपको ली तुम्हें किसी अनजान के घर था लेकिन मैं सब कुछ भूल गया था उन्होंने मेरा इलाज कराया जिससे मेरी यादाश्त लौट आई। जैसे ही मुझे सब कुछ याद आया वैसे ही मैं अपने परिवार के पास लौट आया। और मां तुम सपना नहीं सच देख रही हो तेरा बेटा वापस आ गया। आंचल तेरा अजय वापस आ
गया।
शीर्षक-कहते हैं जिसकी हमें आस नहीं थी वह सपना सच बन कर आया हूं हमेशा अपने में विश्वास बनाए रखो। भगवान में भक्ति साधना विश्वास हो हमार कठिनाइयों को पार कर पाते हैं।
लेखिका
Gunjan Kamal
06-Dec-2022 02:57 PM
शानदार
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पृथ्वी सिंह बेनीवाल
28-Nov-2022 09:59 AM
Absolutely right 👍🏼
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